Sunday, 12 January 2014

My Worthless Efforts- Dec12,2013

अब तक तो इबादत हमने की ही नहीं ;

ढूढ़ते रहे खुदा पर वो मिला ही नहीं ,

खुदा की खुदाई हम क्या जाने ;

जब से देखा है तुझे , तुझे ही खुदा हम माने,

तेरा ही दीदार किया रात दिन बस इतनी सी खता कर बैठे ;

रिश्तों की डोर तोड़कर तुझपर ही जान लुटा बैठे ,

अरमां तो इतने थे दिल में मेरे पर तुझे देखकर समझ ना आया की तुझसे कहते भी तो क्या कहते ?


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