गलती मेरी ही थी ,
उसने मुझे चाहा ही नहीं;
मैं चाहत समझ बैठा ,
गलती मेरी ही थी ,
उसकी पल भर की मुस्कराहट को प्यार समझ बैठा;
वो तो हर बात बात पे हाँ हाँ करती थी मैं ही इकरार समझ बैठा ,
गलती मेरी ही थी ,
उसने मुझसे ज्यादा एहमियत दी मेरे दोस्तों को मैं उसकी ये अदा मजाक
समझ बैठा ;
उसने कहा भी था कोई और है मेरी जिंदगी में मैं खुद को ही उसकी जिंदगी
समझ
बैठा,
गलती सिर्फ मेरी ही थी..................
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